Solar Panels
Solar Panels |
Solar panels reduce pollution in the environment. As long as we get sunlight, we can get electricity from solar panels in many places used in daily life, such as calculators, bulbs, fans, etc. There are some disadvantages of installing it, like That it costs more, and they are installed outside the house or on the roof.
Types of Solar Panels
- Monocrystalline Solar Panels
- Polycrystalline Solar Panels
- Thin Film (Amorphous) Solar Panels
- Electric System
- Water Heating
- Pool Heating
- Concentrated Power
1. Monocrystalline Solar Panel
Monocrystalline Solar Panel |
solar panels. Monocrystalline solar panels, compared to other solar panels, are very efficient in producing electricity because they are the purest, those made from single silicon ingots are made using the Czochralski method. For this reason, their price is also high. More than 80-90% of these panels are used in homes and industries. The efficiency of this panel is 17-24%.
2. Polycrystalline Solar Panel
Polycrystalline Solar Panel |
3. Thin Film Solar Panel
Sunlight contains photons, and when these photons hit the solar panel, they free electrons from their atoms. If we connect a conductor to the positive and negative
Cell-Module-Array |
सोलर पेनल्स
सोलर पेनल्स सूर्य की किरणों को सेल (फोटोवोल्टिक) पर टकराने पर उसको बिजली में बदल देता है। सोलर पन्नेल बहुत सरे सेल को जोड़ने से बनता है, जिसका उपयोग फोटोवोल्टिक इफ़ेक्ट से बिजली को बनाने के लिए किया जाता है। इसको समझने के लिए अगर हम 6 x 10 फोटोवोल्टिक मॉड्यूल को एक स्ट्रक्चर पर लगा दें तो वो एक सोलर पैनल बन जाता है। अधिकतर सौर पैनल को बनाने के लिए क्रिस्टलीय सिलिकॉन सौर सेल का उपयोग किया जाता है।
सौर पैनल बहुत जल्दी से खराब नहीं होते हैं। अगर हम देखें तो एक वर्ष में, उनकी कार्य प्रणाली में केवल एक से दो प्रतिशतकी कमी (कभी-कभी, इससे भी कम) आती है।
सोलर पैनल को लगाने से वातावरण में पोल्लुशन को कम करता है। जब तक हमें सूर्य की रौशनी प्राप्त होती है, तब तक सोलर पैनल से हम रोज़ की जिंदगी में प्रयोग होने वाली कई जगह में बिजली प्राप्त कर सकते हैं, जैसे की कैलकुलेटर, बल्ब्स, पंखे अदि, इसको लगाने के कुछ नुक्सान भी हैं, जैसे कि इसकी लगत अधिक होतीं है, और ये घर के बहार या छत के ऊपर इनस्टॉल किये जाते हैं।
सौर पैनल के प्रकार
भारत में 4 प्रकार के सोलर पैनल घरों में प्रयोग होते हैं। सोलर एनर्जी बहुत ही सस्ती ऊर्जा का स्रोत है। सोलर ऊर्जा पर्यावरण के हिसाब से भी बहुत अच्छी है। बिजली बनाने के दूसरे तरीके जैसे कोयला, आयल अदि बहुत ही महंगे होते हैं और इनकी उपलब्धता भी सिमित है। इसी कारण से हमें सोलर एनर्जी प्राप्त करने के लिए सोलर पैनल का प्रयोग करना होगा। इसी कारण से अब सोलर पेनल्स की मांग अधिक हो गई है। भारत के अधिकांश भागो में धूप भी बहुत अच्छे से निकलती है, जिससे सोर ऊर्जा लगाने के बहुत ही लाभ है। घरो में प्रयोग के लिए फोटोवोल्टिक सौर सेल को बनाने के लिए को दुनिया में अंदाजा 99% सिलिकॉन का प्रयोग होता है। सौर उद्योग में मुख्य रूप से 3 प्रकार के सौर पैनल उपयोग किए जाते हैं:
- मोनोक्रिस्टलाइन सौर पैनल
- पॉलीक्रिस्टलाइन सौर पैनल
- पतली फिल्म (Amorphous) सौर पैनल
इन 3 प्रकार के पैनलों का उपयोग 4 मुख्य प्रकार की सौर ऊर्जा के लिए किया जाता है:
- इलेक्ट्रिक सिस्टम
- जल तापन
- पूल हीटिंग
- केंद्रित शक्ति
1. मोनोक्रिस्टलाइन सौर पैनल
मोनोक्रिस्टलाइन सौर पैनल ब्लैक सोलर सेल्स से बने होते हैं और ये फर्स्ट-जेनरेशन सोलर पैनल हैं। मोनोक्रिस्टलाइन सौर पैनल, बाकि दूसरे सोर पन्नेल की तुलना में, बिजली के उत्पादन में बहुत ही कुशल होते हैं क्योंकि वे सबसे शुद्ध होते हैं, जो सिज़ोक्राल्स्की (Czochralski) पद्धति का उपयोग करके सिंगल सिलिकॉन इंगोट से बने होते हैं। इसी कारण इनकी कीमत भी अधिक होती है। घरो और इंडस्ट्रीज में ये पैनल 80-90% से ज्याद प्रयोग में होते हैं। इस पैनल की एफिशिएंसी 17-24 % होती है।
2. पॉलीक्रिस्टलाइन सौर पैनल
पॉलीक्रिस्टलाइन सौर पैनल नीले रंग के होते हैं, और ये भी सबसे ज्यादा उपयोग होने वाले पैनल हैं। यह मोनोक्रिस्टलाइन सौर पैनलों की तुलना में कम बिजली का उत्पादन करते हैं, और इनकी कीमत भी काम होती है। इन पेनल्स को बनाने के लिए सिलिकॉन के टुकड़ो को प्रयोग में लाया जाता है। इसी कारण इनको बनान आसान होता है, और इसको पाली सिलिकॉन से बनाया जाता है। इनमे शुद्ध सिलिकॉन की जरुरत नहीं होती है। इस पैनल की एफिशिएंसी 15-17 % होती है।
3. पतली फिल्म सौर पैनल
भारत में थिन-फिल्म तीसरा प्रकार का सोलर पैनल है और ये 2nd जनरेशन का है । ये पैनल सस्ता और कम कुशलता वाला होता हे। ये सौर पैनल एक फोटोवोल्टिक पदार्थ से बना होता हैं जो कांच जैसे सब्सट्रेट पर लगा होता है। ये पैनल PV मटेरियल को एक और उससे अधिक कई पतली लेयर को सब्सट्रेट पर रखने से बनता है। इनका प्रयोग कमर्शियल और पोर्टेबल सोलर सिस्टम में होता हे जैसे कि बोट में। पतली फिल्म सौर पैनलों की दक्षता 18-21% होती है।
पतली फिल्म फोटोवोल्टिक को बनाने वाले पदार्थ हैं :-
- कैडमियम टेलुराइड (सीडीटीई)
- अमोर्फोस सिलिकॉन (ए-सी)
- कॉपर ईण्डीयुम गैलियम सेलेनाइड (CIS/CIGS)
- कार्बनिक फोटोवोल्टिक सेल (ओपीसी)
मोनोक्रिस्टलाइन और पॉलीक्रिस्टलाइन सोलर पैनल में अंतर
सौर पैनल कैसे काम करता है?
सूर्य की रौशनी में फोटोन होते हैं, और ये फोटोन सौर पैनल से टकराते हैं तो वो अपने परमाणुओं से इलेक्ट्रान को फ्री कर देते हैं। अगर हम एक कंडक्टर को सेल के पॉजिटिव और नेगेटिव साइड से जोड़ दें तो हमें विद्युत सर्किट बनता है, और जब इस सर्किट से इलेक्ट्रान प्रवाहित होते हैं, तो उसमें से हमें विद्युत प्राप्त होती है। ये प्रक्रिया एक सेल की है, और अगर हम ऐसे कई सरे सेल इकठे आपस में जोड़ दें तो ये सब मिल कर सोलर पैनल बनाते हैं। और इसी तरह अगर हम बहुत सरे सौर पैनल को इकठे आपस में जोड़ दे तो वो सोलर ऐरे (Array) बनाते हैं। जितने सोलर ऐरे जोड़ेंगे हमें उतनी अधिक बिजली प्राप्त होगी।
0 Comments